Independence Day 2024: देश में अब UCC की जरूरत, लाल किले की प्राचीर से बोले पीएम..समझें क्या है Uniform Civil Code
Uniform Civil Code का मुद्दा कई बार देश में उठ चुका है. आज एक बार फिर से पीएम मोदी ने लाल किले से यूसीसी का जिक्र किया. जानिए क्या है UCC, ये दुनिया के किन देशों में लागू है और भारत में अब तक लागू क्यों नहीं हो पाया, यहां जानें समान नागरिक संहिता से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
78th Independence Day 2024 PM Modi Speech: देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया और उसके बाद देश को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बड़ी बातें कहीं. उन्हीं में से एक है Uniform Civil Code. पीएम ने कहा कि देश ने समान नागरिक संहिता को सेकुलर सिविल कोड कहकर भी संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वह सचमुच में एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है. भेदभाव करने वाला सिविल कोड है. इसलिए अब देश में एक सेकुलर सिविल कोड होना चाहिए. देश को अब यूसीसी की जरूरत है. इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए. पीएम के संबोधन के बाद एक बार फिर से UCC का मुद्दा उठ गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्या है Uniform Civil Code.
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून. जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं. फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा.
गोवा और उत्तराखंड में लागू है UCC
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भारत में गोवा में UCC पहले से लागू था. लेकिन अब ये उत्तराखंड में भी लागू हो चुका है. गोवा में UCC को गोवा सिविल कोड (Gos Civil Code) के नाम से भी जाना जाता है. वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है. इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है. रजिस्ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगी. शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है. संपत्ति पर पति-पत्नी का समान अधिकार है. इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं. गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है.
गोवा में पुर्तगालियों ने लागू किया था UCC
गोवा में यूसीसी को पुर्तगालियों ने लागू किया था. दरअसल गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा करीब 450 सालों तक रहा है. पुर्तगालियों ने ही पोर्च्युगीस सिविल कोड को गोवा में लागू किया था और तब से आज तक वहां UCC लागू है. आप कह सकते हैं कि पुर्तगाली गोवा से बेशक चले गए लेकिन UCC को वहीं छोड़ गए, जबकि पुर्तगाल खुद अपने देश में इस कानून को नए सिविल कोड से बदल चुका है.
भारत में क्यों नहीं लागू हो पाया
संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है. लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका. इसका कारण भारतीय संस्कृति की विविधता है. यहां एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं. आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा. सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपनेआप खत्म हो जाएंगे.
पहले भी मांगी जा चुकी है राय
देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर पहले भी राय मांगी जा चुकी है. साल 2016 में विधि आयोग ने UCC को लेकर लोगों से राय मांगी थी. इसके बाद आयोग ने 2018 में अपनी रिपोर्ट तैयार की और कहा भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है. बता दें कि समान नागरिक संहिता बीजेपी के मुख्य एजेंडे में शामिल रही है.
दुनियाभर में कहां लागू है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता को लेकर अगर दुनिया की बात करें, तो ऐसे तमाम देश हैं जहां ये लागू है. इस लिस्ट में में पाकिस्तान और बांग्लादेश के नाम भी शामिल हैं. इन दोनों देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरिया पर आधारित एक समान कानून लागू होता है. इसके अलावा अमेरिका, आयरलैंड, रोम, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं.
10:18 AM IST